सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अब मुझे आत्महत्या (suicide) कर लेनी चाहिए !!!!!!!!!

अब मुझे आत्महत्या (suicide) कर लेनी चाहिए !!!!!!!!!

मैं अब ये दबाव झेल नहीं पा रहा हूँ। मुझ पर हर तरफ से pressure बढ़ता ही जा रहा है। ज़िन्दगी में मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है। उपरवाले आखिर मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है जो तू मुझ पर मुसीबतें और परेशानियाँ लादता ही जा रहा है। मेरा दिल पीड़ा और वेदना से भर गया है। इतना असहाय तो मैंने अपने आप को कभी महसूस नहीं किया। दोस्त मुझ पर बेबुनियाद इल्जाम लगा रहें हैं। परिवार मुझे हमेशा के लिए छोड़ देने को आतुर दिख रहा है। रिश्तेदार मुझ पर अंगुली उठा रहे हैं।

suicide-is-not-solution

मैंने business में लाखों रूपये का घाटा खाया है, partners भी मुझ पर पैसा खाने का इल्जाम लगा कर मुझसे अपना सारा पैसा वापस माँग रहे हैं। आखिर इतना सारा पैसा मैं अकेले कैसे चुका पाउँगा। सभी जगहों से business के लिए पैसा मैंने ही arrange किया। सभी लेनदार मुझे ही जानते हैं और अब उन्हें पता लग चुका है कि business में नुकसान हुआ है। इसलिए वो सभी मुझ पर पैसा वापस लौटाने का दबाव बना रहें हैं। मुझे धमकाया जा रहा है।

ज़िन्दगी इसी का नाम है….

माँ-बाप, भाई-बहन, दोस्त, रिश्तेदार सभी ने ऐसे समय में मुझसे हमेशा के लिए नाता तोड़ लिया है। अब मैं क्या करूँ, मैं तो सोच-सोच के परेशान हूँ। मैंने जानबूझकर तो कभी किसी को भी नुकसान नहीं पहुचाया, ना ही कभी नुकसान पहुँचाने की सोची भी। पर क्या अनजाने में मुझसे कोई इतनी बड़ी गलती हो गयी कि इश्वर मुझे उसकी सजा दे रहा है।

आखिर मैं करूँ तो क्या करूँ? मैं कहाँ जाऊ? किससे मदद मांगू? कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा है। कहीं से कोई रोशनी की किरण नज़र नहीं आ रही है। मैं यह सब सोच-सोच कर पागल हुआ जा रहा हूँ। अब मेरे पास ख़ुदकुशी(suicide) के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

Give me some sunshine, Give me some rain
Give me another chance, I wanna grow up once again……ऐसा लगने लगा है कि ये lines शायद मेरे लिए ही लिखी गई है।

जीने के लिए सोचा ही ना था, दर्द संभालने होंगे..

मुस्कुराऊँ तो, मुस्कुराने के क़र्ज़ उतारने होंगे…….यह गाना रह-रहकर मेरे कानों में गूंजने लग जाता है।

क्या आप इससे ही मिलती जुलती मनो-दशा से गुजर रहे हैं?

दोस्तों आज से तक़रीबन दो-ढाई वर्ष पहले मेरी मनोदशा यही थी। बल्कि मेरे लिखे ये शब्द मेरी असल पीड़ा, दर्द, वेदना का सिर्फ कुछ हिस्सा ही दर्शा पा रहें हैं। मेरे जीवन का एक एक पल इतना बड़ा और भारी हो गया था कि लगने लगा था कि बस अब मरने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। जब पंखे के नीचे लेटता तो लगता इसी पर फंदा लगा कर झूल जाऊ।

रसोई में जाता तो लगता चाकू से अपनी नस काट कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लूँ। अपने plant की सबसे ऊँची building को देखता तो लगता इस पर चढ़ कर कूद जाऊ, तो जिंदा बच पाने का कोई chance ही नहीं है।

पर जब भी ये सब सोचता तो मेरी आँखों के सामने मेरी बच्चियों के चेहरे घूमने लग जाते। मेरे अन्दर से आवाज आने लग जाती कि मैं तो चला जाऊंगा फिर इनका क्या होगा, इन्हें कौन संभालेगा? मैं आखिर इनकी जिम्मेदारियों से कैसे भाग सकता हूँ? मेरी ये सोच हमेशा ही मेरी आत्महत्या की सोच पर हावी हो जाती और मैं suicide करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।

आत्महत्या (Suicide) – कायरता या मूर्खता :

दोस्तों मेरा ये article लिखने का मकसद ये है कि मैं आपको ये बताना चाहता हूँ कि आज जब मैं अपने जीवन में पीछे मुड़ कर देखता हूँ, उन परिस्थितियों के बारे में सोचता हूँ तो लगता है कि अगर मैंने suicide कर लिया होता तो वो कितना मूर्खतापूर्ण decision होता।

कुछ लोग कहते हैं suicide करना कायरता है क्योंकि हालातों से लड़ने के बजाय आपने उनके सामने हथियार डाल दिए। पर मैं जानता हूँ suicide करने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए। शायद किसी दूसरे को मार देने से भी ज्यादा खुद को खत्म कर देने के लिए हिम्मत चाहिए। अपने घर, परिवार, दोस्तों, सपनों को अपनी आखों के सामने उमड़ते-घुमड़ते देखकर भी अपनी जान ले लेने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए।

आज जब मैं अख़बारों में पढता हूँ कि कहीं किसी coaching institute में बच्चे ने आत्महत्या कर ली, कभी किसी college में कोई बच्चा आत्महत्या कर लेता है, तो कभी financial crises के चलते कोई अपने बीवी-बच्चों को खत्म कर खुद भी suicide कर लेता है तो ये सब पढ़ कर बहुत दुःख होता है, तकलीफ़ होती है क्योंकि मैं भी इस मनोदशा का शिकार हुआ हूँ।

तनाव से मुक्ति कैसे पाएं 

किसी भी तरह की बुरी से बुरी परिस्थितियों से गुजर रहे लोगों को मैं एक सलाह देना चाहता हूँ जितनी हिम्मत आपने suicide करने के लिए जुटा ली बस उतनी ही हिम्मत अपने हालातों से लड़ने के लिए जुटा लें फिर कुछ वर्ष बाद जब पीछे मुड़कर अपने जीवन को देखेंगे तो यही कहेंगे कि अगर मैंने suicide कर लिया होता तो वो कितना मूर्खतापूर्ण decision होता।

हाँ दोस्तों suicide करना कायरतापूर्ण decision हो सकता है पर ये मूर्खतापूर्ण decision तो जरूर है क्योंकि आज जो भी हालात हैं वो कल नहीं रहेंगे। अगर आप इन्हें सुधारने की कोशिश शुरू कर देंगे तो इन्हे बदलना ही है।

Dear Stranger, I Know How You Feel

How to overcome depression??: “There is hope, even when your brain tells you there isn’t”

Ikigai (Hindi) Art of staying Young.. while growing Old दीर्घायु, तंदुरुस्त और आनंदित जीवन का जापानी रहस्य

Chinta Chhodo Sukh Se Jiyo (Hindi Translation of How to Stop Worrying & Start Living) by Dale Carnegie

You Can Heal Your Life (hindi)

हालातों का जायजा लीजिये :

आज आपके हालात जिन वजहों से भी ख़राब हुए हैं, आप को उन्हे review करना होगा। आपने अपने past में जो भी decision लिए थे जिन वजहों से हालात ख़राब हुए हैं उन्हें अपनी गलती मानकर तुरंत उन्हें सुधारने की कोशिश में लगना पड़ेगा। कई बार हम ये मान ही नहीं पाते कि मैं कोई गलत decision भी ले सकता हूँ और फिर अपने decision को सही साबित करने के चक्कर में अपनी मुसीबतों को और बढ़ाते चले जाते हैं।

ऐसा ना करें, क्योंकि ये अहम् आगे चलकर हमारी मुसीबतों को कई गुना और बढ़ा देने वाला है। कुछ हालातों को तुरंत बदल पाना संभव नहीं होता तो उनके साथ उस वक़्त लड़ने के बजाय उन्हें ईश्वर के हवाले कर दें। जो आपके हाथ में है ही नहीं, उसके साथ जितनी माथा-पच्ची करेंगे तो उतनी ही उलझती चली जाएँगी।

Schooling के समय मेरे एक teacher ने मुझे सलाह दी थी कि बेटा जब भी exam hall में exam देने बैठो तो पूरा paper पहले पढ़ लो। जिन questions के answer तुम्हे सबसे अच्छी तरह से याद है, उन्हें सबसे पहले पूरा करो। फिर उन questions का answer लिखो जो तुम्हे याद तो हैं पर उनके बारे में थोडा सोचना पड़ेगा। फिर उनके answer दो जो तुम्हे याद कर-करके लिखने पड़ेंगे और फिर आखिर में उनके बारे में सोचना जो तुम्हे बिलकुल याद नहीं। अब सोचिये अगर हम पहले उन questions के answer देने बैठ जाएँ जो हमें बिलकुल याद नहीं हैं तो क्या होगा? हमें उस exam में fail होने से कोई नहीं रोक सकता।

संकट /समस्या के प्रति हमारा नज़रिया

बस यही तरीका हमें अपनी मुसीबतों से लड़ने में लगाना है। सभी परिस्थितिओं का जायजा ले लीजिये। देखिये किनके साथ तुरंत लड़ने की रणनीति बना कर उसे निपटाया जा सकता है। रणनीति बनाते वक़्त ये जरूर ध्यान रखें कि किस मुसीबत से पहले लड़ना जरूरी है? क्योकि अगर आपने एक-एक number के questions के चक्कर में 10 number का question छोड़ दिया तो हो सकता है आप exam में पास तो हो जाएँ पर उस पास होने में आपको भी मज़ा नहीं आएगा। हो सकता है कोई मुसीबत बड़ी हो और उस वक़्त आपके पास उससे लड़ने के रणनीति भी नहीं हो पर अगर ये जरूरी है तो पहले इसी के साथ हाथ आजमायें।

सभी परेशानियों से एक साथ लड़ने की कोशिश ना करें। सब का नंबर एक-एक करके लें। जिनसे निपटा नहीं जा सकता उन्हें ईश्वर पर छोड़ दें। कुछ मुसीबतें समय के साथ खुद ही कहीं पीछे छूट जाती है और हमें पता भी नहीं चलता। कुछ को ईश्वर अपने आप ठीक कर देता है और हमें कुछ करना ही नहीं पड़ता।

दोस्तों ये जीवन हमें ईश्वर का उपहार है। ये हमें ईश्वर ने दिया है तो क्यों ना इसे ईश्वर को अपने तरीके से ही लेने दिया जाए। हम क्यों ये उपहार उसे वापस लौटा दें? उपहार लौटना तो अच्छी बात नहीं होती ना।

Creative Thinking जरूरी है problems के बेहतर solutions तलाशने में

तो ये सवाल कभी हमारे दिमाग में नहीं आना चाहिए कि अब मुझे आत्महत्या कर लेनी चाहिए!!!

हमें ये जीवन जीने के लिए मिला है इसे भरपूर जिए, इसका भरपूर मज़ा लेते हुए जिए। मुसीबतें आएँगी पर जब हम उनके सामने चट्टान की तरह खड़े होंगे तो सभी मुसीबतें, सभी परेशानियाँ बिखर के कहाँ चली जाएँगी, हमें पता भी नहीं चलेगा।

Also Read:

1. गूंगी चीख – The Silent Scream
2. खुशियों की तलाश
3. तनाव से मुक्ति कैसे पाएं 
4. ज़िन्दगी इसी का नाम है….
5. संकट /समस्या के प्रति हमारा नज़रिया


हमारा कोई article पसंद आने पर अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
facebook page like करने के लिए यहाँ click करें – https://www.facebook.com/hindierablog/
Keywords – suicide, आत्महत्या, depression, how to deal with depression

टिप्पणियाँ