Short moral stories in Hindi - बच्चों के लिए 2 छोटी कहानियां

Short moral stories in Hindi – बच्चों के लिए 2 छोटी कहानियां

वैसे तो ये Short moral stories in Hindi बच्चों के लिए लिखी गई हैं लेकिन यदि आप उद्यमिता यानि entrepreneurship या अपना business start करने के बारे में विचार कर रहे हैं तो ये कहानियां आपके लिए भी उपयोगी साबित होंगी।

आजकल entrepreneurship के बारे में काफी अच्छा माहौल बना हुआ है। सरकार भी इसे विभिन्न योजनाओं के जरिये promote करने के प्रयास कर रही है। आजकल के युवाओं के मन में नौकरी करने से ज्यादा उद्यमी बनने का ख्याल घर करने लगा है। आए दिन हम नए नए startups के बारे में सुनते या पढ़ते हैं। ये इन युवाओं की कल्पना की शक्ति से ही संभव हो रहा है। जब हम entrepreneurship या अपना  business start करने के बारे में विचार कर रहें हो तो कुछ बुनियादी बातों को भी समझना अच्छा होता है।

कुछ समय पहले मैंने ये दो कहानियाँ पढ़ीं। मुझे लगता है अपना business start करने के बारे में सोच रहे युवाओं को भी ये कहानियाँ पढनी चाहिए, जिससे वो इन कहानियों में दी गई सीख को अपना कर अपने business को ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकें और आगे बढ़ा सकें। आइये समझें कि इन Short moral stories in Hindi में क्या सीख दी गई है:

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Short moral stories in Hindi:

First Moral Story in Hindi | पहली हिंदी कहानी :

एक कुम्हार के परिवार में आठ लोग थे। घर सँभालने के लिए बड़ा लड़का मिट्टी के बर्तन बनाने में अपने पिता की मदद करता था। अचानक एक दिन उसके पिता की मौत हो गई। अब परिवार की सारी ज़िम्मेदारी उस लड़के पर ही आ गई। हालाँकि वह मिट्टी के बर्तन बनाने में पिता की मदद बहुत समय पहले से ही करता आ रहा था, लेकिन फिर भी वह इस कला में पारंगत नहीं हो पाया था।

पिता की अनुपस्थिति में उसे घड़े बनाने का काम अकेले ही करना पड़ रहा था। अपने काम को लेकर उसके मन संशय रहने लगा कि उसके बनाए घड़े ठीक बने भी हैं या नहीं ? इन घड़ों का कोई खरीददार मिलेगा या नहीं ? अपने बनाए घड़ों के लेकर वह लड़का दुकान पर इसी उहा-पोह के बीच शाम तक बैठा रहा। उस दिन शाम तक उसका एक भी घड़ा नहीं बिका।

उसके पिता का दोस्त जो कि पास में ही फल का ठेला लगाता था, लड़के की मनोदशा समझ रहा था। वह पास आकर उससे कुछ इधर-उधर की बातचीत करने लगा। तभी कुछ बच्चों, जो की पास में ही क्रिकेट खेल रहे थे, की गेंद से उस फलवाले का मटका ठेले से नीचे गिर गया और गिरते ही टूट गया। उस फलवाले ने अपने दोस्त के लड़के से ही घड़ा खरीदकर उसकी कुछ मदद करनी की सोची। फलवाले ने उस बच्चे से घड़े का मूल्य पूछा। बच्चे ने घड़े का मूल्य 50 रूपये बताया। ये मूल्य सुनकर फलवाले ने उससे मोलभाव करने का इरादा बनाया।

फलवाले ने मोलभाव करते हुए उससे दाम कुछ कम करने को कहा। कुछ सोचने के बाद लड़का 30 रूपये में घड़ा देने को राज़ी हो गया। फलवाले ने फिर मोलभाव करते हुए कहा इस घड़े के इतने दाम तो ज्यादा है, तुम्हे इसके दाम कुछ और कम करने चाहिए। इस पर लड़के ने कुछ देर सोचने के बाद पहले 20 फिर 10 में हाँ कर दी। लड़का सोच रहा था कम से कम एक मटका तो आज बिक जाए।

पर फलवाले ने उस घड़े के पूरे 50 रूपये देते हुए उस लड़के से कहा, “मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूँ, इसलिए समझा रहा हूँ कि कभी भी अपने काम को कम मत आंकों। व्यापार में लागत और श्रम के साथ मुनाफा भी जरूरी है। अगर ख़ुद के काम को कम आंकोगे तो लोग भी तुम्हारे काम को महत्त्व नहीं देंगे।”

Second Moral Story in Hindi | दूसरी हिंदी कहानी :

एक बार एक लौहार ने अपने शहर के प्रसिद्ध बढ़ई के लिए कुछ हथौड़े बनाए। उसके बनाए उन हथोडों की बहुत तारीफ हुई। उसके हथोडों की तारीफ सुनकर एक ठेकेदार ने उसे ज्यादा दाम पर कई और हथौड़े बनाने का काम सौंपना चाहा। उस ठेकेदार ने लौहार से कहा मैं तुम से काफी संख्या में हथोड़े बनवाना चाहता हूँ लेकिन मेरी एक शर्त है। और वह यह है कि सारे हथौड़े बढ़ई को दिए गए हथोडों की तुलना में और भी ज्यादा बेहतर होने चाहिए।

उस ठेकेदार की शर्त सुनकर लौहार ने काम लेने से ही मना कर दिया। उसने ठेकेदार से कहा कि “मैं अपने हर काम में 100 प्रतिशत देता हूँ और इससे अच्छे हथौड़े बनाने का वादा करने का अर्थ यह मानना होगा कि मैंने पहले वाले हथौड़ों में कोई कमी छोड़ दी।”

लौहार की इस बात से जाहिर है कि उसने अपने सीखने के रास्ते बंद कर लिए थे। हर काम में अपना 100 प्रतिशत देना अच्छी बात है और हमें हमेशा अपने काम में 100% देना भी चाहिए। पर अगर आपने अपने काम को सर्वश्रेष्ठ मानकर बेहतरी के प्रयास करना ही छोड़ दिया, तो आगे बढ़ने और तरक्की करने के रास्ते आपके लिए बंद हो जाएंगे। हर काम में नया और बेहतर करने की गुंजाईश हमेशा होती है।

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