Happy Married Life Tips in Hindi
आजकल घर-गृहस्थी में कलह बढ़ते ही जा रहे हैं। पति-पत्नी में, माँ-बाप बच्चों में, भाई-भाई में, भाई-बहन में कलह की सैकड़ों वजह पैदा हो गई है। हम लोग एक दूसरे को समझना नहीं चाहते, आपस के विश्वास में कमी आ गयी है, क्रोध हर वक़्त साथ लेकर घूमते हैं और ये सब घरों के बिखरने का कारण बन जाता है। आज हमारे घर मकान बनते जा रहे हैं, joint family का concept कहीं गुम होता सा नज़र आ रहा है।
आज मैं आपके साथ कबीर के जीवन की एक कहानी share कर रहा हूँ, जिसमे बताया गया है कि अगर पति और पत्नी के बीच समझदारी भरा रिश्ता हो जाये तो कैसे गृहस्थी के सारे क्लेश समाप्त हो सकते हैं। कबीर की ये कहानी शायद हमारे दिमाग़ के पट खोल सके:
महान संत कबीर की सीख – सुखी और सफल गृहस्थी के लिए:
संत कबीर हर रोज सत्संग किया करते थे। उनके सत्संग में आस-पास के लोग ही नहीं बल्कि दूर दूर से लोग उनकी बात सुनने आते थे। एक दिन सत्संग खत्म होने पर जब सभी लोग चले गए तो उन्होंने देखा कि एक आदमी अभी भी वहां बैठा है। कबीर ने उसे अपने पास बुलाया और सत्संग खत्म होने के बाद भी बैठे रहने का कारण पूछा तो वह बोला, “मान्यवर, मैं बहुत दुविधा में हूँ और आपसे कुछ पूछना चाहता हूँ। “
कबीर ने कहा,’पूछो’ तो वह बोला,’मैं गृहस्थ हूँ, मेरे घर में बहुत कलह होती है, घर में सभी लोगों से मेरा झगड़ा होता रहता है। मैं जानना चाहता हूँ कि मेरे यहाँ क्लेश क्यों होता है और वह कैसे दूर हो सकता है?’
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कबीर ने उस आदमी को तुरंत इसका कोई जवाब नहीं दिया। वे थोड़ी देर चुप रहे, फिर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा, ‘लालटेन जलाकर लाओ।’ कबीर की पत्नी लालटेन जलाकर ले आई। वह आदमी भौचक देखता रहा। सोचने लगा इतनी दोपहर में कबीर ने लालटेन क्यों मंगाई। थोड़ी देर बाद कबीर फिर अपनी पत्नी से बोले,’कुछ मीठा दे जाओ।’ इस बार उनकी पत्नी मीठे के बजाय कुछ नमकीन देकर चली गयी।
उस आदमी ने सोचा कि यह सब क्या हो रहा है। कबीर ने मीठा माँगा तो पत्नी नमकीन दे गयी, दिन में लालटेन मांगी तो बिना कुछ कहे लालटेन देकर चली गयी। उसने सोचा इन लोगों का तो खुद का ही दिमाग ठिकाने पर नहीं है, ये मेरी क्या मदद करेंगे और ये सोचकर वह बोला ,’ठीक है, कबीर जी मैं चलता हूँ।’
तब कबीर ने उस आदमी से पूछा,’आपको अपनी समस्या का समाधान मिला या अभी कुछ संशय बाकी है?’ वह व्यक्ति बोला,’मेरी समझ में कुछ नहीं आया।’ कबीर ने उसे समझाया ,’जब मैंने दिन में लालटेन मंगाई तो मेरी घरवाली कह सकती थी कि तुम क्या सठिया गए हो? इतनी दोपहर में लालटेन की क्या जरूरत? लेकिन नहीं, उसने सोचा कि जरूर किसी काम के लिए लालटेन मंगाई होगी। मैंने जब मीठा मंगवाया तो नमकीन देकर चली गयी। हो सकता है घर में कोई मीठी वस्तु न हो। यह सोचकर मैं चुप रहा। इसमें तकरार क्यों? आपसी विश्वास बढ़ाने और तकरार में न फंसने से विषम परिस्थिति अपने आप दूर हो गयी।’
उस आदमी को हैरानी हुई। वह समझ गया कि कबीर ने यह सब उसे बताने के लिए किया था। कबीर ने फिर कहा,‘गृहस्थी में आपसी विश्वास से ही तालमेल बनता है। आदमी से गलती हो तो औरत संभाल ले और औरत से कोई त्रुटि हो जाए तो पति उसे नज़रअंदाज़ कर दे। यही सुखी गृहस्थी का मूल मंत्र है।’
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