Story in Hindi – गधा और मज़ार
क्या आप भी इच्छाओं की पूर्ती के लिए कहीं भी माथा टेक देते हैं ?
विडम्बना है कि आज समाज में अंधानुकरण व अन्धानुगमन की परंपरा चल पड़ी है। अधिकतर लोग ईश्वर और ईश्वर संबंधित तथ्यों पर आँख मूँद कर विश्वास करते हैं। अपने विवेक या बुद्धि का उपयोग ही नहीं करते हैं। विडम्बना है कि आज समाज में अपनी इच्छाओं की पूर्ती के लिए मानव कहीं भी माथा टेकने को गुरेज नहीं करता है। ऐसी ही एक कहानी जो मैंने कभी अपने पिताजी से सुनी थी आज कहीं पढ़ने को मिल गयी तो सोचा क्यों न इसे अपने blog पर भी post किया जाए।
किसी मजार पर एक फ़क़ीर रहते थे। सैकड़ों भक्त उस मजार पर आकर दान-दक्षिणा चढ़ाते थे। उन भक्तों में एक बंजारा भी था। वह बहुत गरीब था फिर भी नियमानुसार आकर माथा टेकता, फ़क़ीर की सेवा करता और फिर अपने काम पर जाता। उसके कपडे का व्यवसाय था, कपड़ों की भारी पोटली कन्धों पर लिए सुबह से लेकर शाम तक गलियों में फेरी लगाता।
मजार के फ़क़ीर ने बंजारे को गधा भेंट स्वरुप दिया (Story in hindi)
एक दिन उस फ़क़ीर को उस पर दया आ गयी, उसने अपना गधा उसे भेंट कर दिया। अब तो बंजारे की आधी समस्याएं हल हो गयी।
वह सारे कपडे गधे पर लादता और जब थक जाता तो खुद भी गधे पर बैठ जाता। यूँ ही कुछ महीने बीत गए और फिर एक दिन गधे की मौत हो गयी। बंजारा बहुत दुखी हुई, उसने उस मृत गधे को उचित स्थान पर दफनाया, उसकी कब्र बनाई और फूट-फूट के रोने लगा। समीप से जा रहे किसी व्यक्ति ने जब ये देखा तो सोचा जरूर ये किसी संत की मजार होगी। तभी ये आदमी यहाँ बैठकर अपना दुःख रो रहा है।
यह सोचकर उस व्यक्ति ने कब्र पर माथा टेका और अपनी मन्नत हेतु वहां प्रार्थना की और कुछ पैसे चढ़ाकर वहां से चला गया। कुछ दिनों के उपरांत ही उस व्यक्ति की कामना पूर्ण हो गयी। उसने खुशी के मारे सारे गावं में डंका बजाया कि अमूक स्थान पर एक बहुत बड़े फ़क़ीर की मजार हैं। वहां जाकर जो अरदास करो वो पूरी होती है। मन चाही मुरादें बख्शी जाती हैं वहां।
उस दिन से उस कब्र पर भक्तो का ताँता लगना शुरू हो गया। दूर-दराज से भक्त अपनी मुरादें बख्शाने वहां आने लगें। बंजारे की तो चांदी हो गयी, बैठे-बैठे उसे कमाई का साधन मिल गया था।
फ़क़ीर ने बंजारे को बताई एक राज की बात
एक दिन वही फ़क़ीर, जिन्होंने बंजारे को अपना गधा भेंट स्वरुप दिया था वहां से गुजर रहे थे। उन्हें देखते ही बंजारे ने उनके चरण पकड़ लिए,”आपके गधे ने तो मेरी ज़िन्दगी बना दी। जब तक जीवित था तब तक मेरे रोजगार में मेरी मदद करता था और मरने के बाद मेरी जीविका का साधन बन गया है।”
फ़क़ीर हँसते हुए बोले,”बच्चा! जिस मजार पर तू नित्य माथा टेकने आता था वह मज़ार इस गधे के माँ की थी।”
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Sound is Great!! Thanks for sharing!!!!!!!
This was really really an amazing article sir.
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thanks
Nice story Vikash Saini
बहुत ही सुदर कहानी कम शब्दों में ज्यादा बडा अर्थपूर्ण संदेेेेश ।
Waah sir ye to real life me v hota h Acha संदेश दिया आपने
बहुत खूब !!
क्या आप मेरी लव स्टोरी को पब्लिश कर दोगे lover
NICE ONE
” आपके द्वारा प्रकाशित ये अच्छी कहानी कल ” शुक्रवार 11 अगस्त 2017 को साझा की गई है……………… http://digvijay4.blogspot.in पर साझा की गई है आप भी आइएगा….धन्यवाद!
धन्यवाद
आज के समय पर यह कहानी बहुत ही सटीक बैठती है … Thanks for sharing this … really nice story!! 🙂
Thanks for your appreciation…
Nice Information Sir
Bahut acchi kahani…..Read karke bahut accha laga…..dhanyavad!
Hahhaah yahi ajkal kji sachhai hai. Hum log bhed chal me chalne lagte hain. Bina kuch jyada soche. Iss kahani ke madhyam se apne bahut achha vyang kasa hai. So nice
धन्यवाद् संदीप जी
धन्यवाद अमूल शर्मा जी
very nice story
thanks…