Hindi Story - मारुती अवतार कथा (श्री हनुमान)

                     मारुती अवतार कथा (श्री हनुमान)

दोस्तों! हिन्दू धरम में केसरी नंदन श्री हनुमान सबसे परम पूजनीय हैं| कहते हैं जो भी भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करता हैं उसके जीवन की सारी कठनाईया सरल हो जाती हैं|आज हम आप सभी के लिए उनके जन्म की एक कथा लेकर आये हैं| सृष्टी के रचियता ब्रह्मा देव,देवी सरसवती के साथ,अपने सुनदर से लोक में निवास करते थे|उनके भवन की भव्यता और बनावट इतनी मनमोहक थी, की सभी देवी देवताओ के मन को मंत्रमुग्ध कर देती थी |उन सभी में, एक बेहद सुन्दर सेविका थी,जिसका नाम था अंजना| जो रूपमती तो थी ही, साथ ही साथ हर कार्य में भी निपुण  भी थी|

एक बार  की बात हैं ब्रम्हा देव और देवी सरस्वती ने उसके सभी कार्यो से संतुष्ट हो ,उसे पुरस्कार देनी की सोची| उनने अंजना को समीप बुलाया और पूछा की वह जो चाहे वो मांग सकती हैं| सबसे पहले वह हिचकिचाई कि वह  सृष्टी करता से क्या मांगे| पर फिर बहूत सोचने के बाद उसने ब्रह्म देव से अनुरोध किया| की अगर वह कुछ देना चाहते हैं तो,उसे श्राप मुक्त कर दे| अंजना ने उनको पूरा वृतांत सुनाया| की एक बार वह बाल्यकाल में “मैं  अपनी सखियों के साथ पृथ्वी के एक उद्यान में खेल रही थी| हम सभी खेलने में इतना खोये हुए थे,की खेलते खेलते कब नदी के तट पर आ गये पता नहीं चला|

तभी अचानक  हमारी नज़र एक बन्दर पर पड़ी जो कमल के फूल पर मनुष्यो की  तरह अपने दोनों पाँव समेटकर ध्यान की मुद्रा में बैठा  था | उसे देख हमे बड़ा आश्चर्य हुआ और बाल्यकाल के कारण शरारत सूझी| हम सभी ने उसको अन्य बन्दर मान उसपर फल फेकना प्रारम्भ कर दिया| परन्तु  यह हमारी भूल थी| वह  कोई मामूली बन्दर नहीं अपितु एक ऋषि थे, जो रूप  बदलकर तपस्या कर रहे थे | हमारी इस क्रियाकलाप  से वे  बहुत कुपित हो गए,और मुझे श्राप दे दिया |की मैं जब भी किसी से प्रेम करूंगी तो मैं भी वानर बन जाऊँगी|

अपनी पूरी बात कहने के उपरांत अंजना बोली -की हैं ब्रह्म देव कृपया मुझे श्राप मुक्त करे | ब्रह्म देव ने कुछ छण विचार करने के बाद अंजना को कहा ” की वह इस श्राप से केवल तभी मुक्त होगी,जब वह भगवन  शिव के अंशावतार को जन्म  देगी”| अंजना मान गई और पृथ्वी लोक जाने के लिए तैयार हों गई|

वहा जाकर उसने एक शिकारी की पुत्री बन जन्म लिया| और धीरे धीरे समय बीतता चला गया |एक दिन जंगल में शिकार करते हुए, उसकी नज़र एक बलशाली व्यक्ति पर पड़ी और वह उसपर मोहित हो गयी| अंजना को उस शक्तिशाली व्यक्ति से प्रेम हो गया,और तभी ऋषि के श्राप के कारन वह वानर बन गई|

अचानक हुए अपने परवर्तित रूप को जान,वह मूर्छित हो गई|जब उसकी मूर्च्छा टूटी, तो अपनी स्तिथी को पुनः स्मरण कर विलाप करने लगी|तभी वह वीर मनुष्य उसके समीप आया और उससे उसके रोने का कारन पुछा| अंजना ने जब उस व्यक्ति की तरफ देखा तो उसका रोदन अचनाक रुक गया|उसके समक्ष वानरो के अधिपति केसरी खड़े थे|उनने अपने बारे में बताना प्रारम्भ किया ,की भगवन शिव की कृपा से ,वह जब चाहे तब मनुष्य का  रूप ले सकते हैं| यह सब सुन अंजना का विलाप रुक गया|राजा केसरी भी अंजना की सुंदरता पर मोहित हो चुके थे ,उनने अंजना के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा|

अंजना ने भी सभी स्थिति को  जान,  विवाह के  लिए स्वीकृति दे दी|दोनों का विवाह हो गया| रानी बनने के बाद राजा केसरी के साथ वह नियम से शिव तपस्या करने लगी | भगवान् शिव ने उनके कठोर तप के फलस्वरूप दर्शन देकर वर मांगने के लिए कहाँ| तब अंजना ने उनसे प्राथना करी की ” वह उनके पुत्र के रूप में जन्म ले “| जिससे वह अपने श्राप से मुक्त हो पाए| भगवान् शिव – तथास्तु कह कर अंतर्ध्यान हो गए|

कुछ समय उपरांत,किष्किंधा राज्ये में, नन्हे से बालक का जन्म हुआ| जिसका नाम मारुती रखा गया|बालक मारुती बालपन से ही अत्यंत नटखट, और शक्तिशाली थे| उनका जन्म विधि का निधान का था| एक बार की बात हैं-बालक मारुती अपने पालने में खेल रहे थे| तभी उनने  आकाश में सूर्ये को लाल रंग की खाने की वास्तु समझा | जिसको वह फल समझ बैठे, और तुरंत आकाश की तरफ छलांग लगा दी| और उसको अपने मुख में ले लिया|सम्पूर्ण विश्व में अन्धकार छा गया| देवराज इंद्र को जब स्तिथी का पता चला,तब उनने बालक मारुती पर क्रोध में अपने वज्रे से वार कर दिया| मारुती मूर्छित हो ,धरती पर आ गिरे, और उनका हनू, घायल हो गया|

तद्पश्चात ब्रह्म देव, ने प्रकट  हो इंद्र को उसकी गलती का एहसास करवाया|इस घटना के फलस्वरूप सभी देवी देवताओ ने बालक मारुती को,हनुमान नाम दिया| और अनेको देवई शक्ति प्रदान करी|

मित्रो ! मुझे उम्मीद हैं की आपको यह कथा रोचक लगी होगी| आपके जीवन के सभी कष्टों को दूर करने के लिए ,आप भी आज से नितप्रतीदीन हनुमान जी की अर्धना करे, और हनुमान चालीसा का भी पाठ अवश्ये करे|


ये कहानी हमें Mr. Sunny ने भेजी है. इसके लिए उनका धन्यवाद्.

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