Panchtantra ki kahaniya (पंचतंत्र की कहानियां) - khayali pulav

Panchtantra ki kahaniya – Hindi Moral Story – khayali pulav

Panchtantra ki kahaniyaपंचतंत्र की कहानियाँ असल में कहानियों का एक बहुत बड़ा संग्रह है। इसे “नीति शास्त्र” के नाम से भी जाना जाता है. इसी संग्रह में से कुछ short stories in hindi हम आप तक अपने ब्लॉग hindiera.com के माध्यम से पहुचाएंगे। इसी कड़ी में आज जो हम हिंदी कहानी लेकर आये हैं उसका नाम है :

पंचतंत्र की कहानियां – हिंदी कहानी – ख्याली पुलाव


एक गांव में एक पंडित रहता था। वह घर-घर जाकर भिक्षा मांगा करता था। भिक्षा में अक्सर लोग उसे आटा दे दिया करते थे। भिक्षा में मिले आटे को वह अपने पास एक बड़े से मटके में इकट्ठा करता रहता था। धीरे-धीरे यह मटका आटे से भर गया। अब वह जब भी सुबह उठता और इस मटके को देखता तो एक ही बात सोचता कि अगर कभी मेरे गांव में अकाल पड़ जाए तो मैं इस आटे को बेचकर अच्छा खासा धन कमा सकता हूँ।

एक दिन वह पंडित कल्पना करने लगा कि अकाल के समय इस आटे को बेचकर जो मुझे धन प्राप्त होगा उससे मैं दो बकरियां खरीद लूंगा। कुछ दिन बाद इन बकरियों के बच्चे हो जाएंगे। फिर मैं इन बकरियों और उनके बच्चों को बेच कर उससे एक गाय खरीद लूंगा। जब गाय के बच्चे होंगे तो मैं इन्हें बेचकर एक भैंस ले आऊंगा। जब भैंस के बच्चे होंगे तो उन्हें बेच कर मैं एक घोड़ी खरीद लूंगा।

फिर इस घोड़ी के भी बच्चे हो जाएंगे। जब मेरे पास बहुत सारे घोड़े और घोड़ियां हो जाएंगे तो मैं इनमें से कुछ को बेचकर बहुत सारा रुपया-पैसा कमा लूँगा। और फिर उन पैसो से एक बड़ा सा मकान बनवा लूंगा। बड़े से मकान को देख कर कोई भी अपनी बेटी से मेरी शादी करवा देगा। मेरी शादी होने के बाद मेरा एक बेटा होगा।

वह लड़का धीरे धीरे बड़ा होगा और फिर खूब शरारते करेगा। एक दिन वह घुटनों के बल घर में इधर उधर खेल रहा होगा। वह मेरे पास से घोड़ों की तरफ जा रहा होगा। तो मैं अपनी पत्नी से कहूंगा पकड़ो अपने लड़के को नहीं तो यह घोड़ों के पास चला जाएगा। लेकिन पत्नी तो उस समय खाना बना रही होगी वह बेचारी उसको कैसे पकड़ पाएगी? वह मुझसे कहेगी तुम ही संभालो लड़के को मैं तो खाना बना रही हूं।

तब तक बालक घोड़ों के बहुत नजदीक पहुंच चुका होगा। ऐसे में मैं तुरंत अपनी चारपाई से उठूंगा और अपने बच्चे की तरफ दौड़ लगा दूंगा।  उसे बचाने के लिए मैं घोड़ों को जोर से टांग मारूंगा।

बस फिर क्या था पंडित जी ने जोर से अपनी टांग उस आटे से भरे मटके पर दे मारी। तुरंत उनकी आंख खुली और उन्होंने देखा कि आटे से भरा हुआ मटका पूरी तरह से टूट चुका है और सारा आटा जमीन पर गिर गया है। और उनकी कल्पना का सारा संसार हवा में उड़ गया इस मटके के साथ में।

कल्पना का सारा संसार ही हवा में उड़ गया। इसीलिए तो बड़े -बुजुर्ग कह गए हैं कि न तो भूतकाल में हो गई बातों की चिंता में अपना समय बर्बाद करो और ना ही भविष्य के लिए अतरंगी बातों को सोचकर अपना समय बर्बाद करो।

क्योंकि लोभ में फंसकर आपने में भी यदि खयाली पुलाव बनाये तो आपका हाल भी पंडित जी जैसा हो जायेगा।

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