Creative Thinking जरूरी है problems के बेहतर solutions तलाशने में

Problems के solutions चाहिए तो अभी शुरू कीजिये – Creative Thinking / Innovative Thinking

मैंने अपने last article में एक कहानी share की थी- Inspirational Moral Stories | क्या आपने ढूँढा नया रास्ता? Creative thinkingकई बार हम सोचते हैं कि कहानियाँ सिर्फ सुनने/सुनाने के लिए होती हैं। जबकि हकीकत इन कहानियों से कहीं परे है। कुछ समय पहले तक मेरी भी सोच ऐसी ही हुआ करती थी। अब आप इस कहानी को ही पढ़िए। इसमें बताया गया है कि लोगों के सामने समस्या बनी रही, लेकिन किसी ने भी उसके समाधान के बारे में नहीं सोचा।

क्योंकि अगर कोई काम हो रहा है, भले ही मुशकिल तरीके से हो रहा है, पर हो तो रहा है, फिर क्यों उसमे दिमाग लगाना। जबकि हम इस तरह की समस्याओं पर Creative Thinking या फिर कहें Innovative Thinking करें तो बेहतर problem solving solutions मिल सकते हैं। जो की न सिर्फ काम को आसान बना देंगे बल्कि आपकी life को भी आसान बनाएंगे।

अब मैं आपके साथ अपना real life experience share करने जा रहा हूँ, जो आपको बतायेगा की कैसे ये कहानी मेरे जीवन पर सटीक बैठती है? और कैसे Creative Thinking / Innovative Thinking ने मेरी life को आसान बनाया?

पहले मेरी सोच ऐसी हुआ करती थी कि जो काम जैसे हो रहा है उसे वैसे ही होने दो। क्यों उसमे कोई छेड़छाड़ करनी? क्या पता कोई और समस्या हो गई तो? लेकिन मेरे साथ कुछ घटनाएँ घटी और फिर मेरी सोच में परिवर्तन आया कि कम से कम किसी काम को करने के लिए हमें किसी दूसरे दृष्टीकोण से सोचना जरूर चाहिए।


Creative Thinking ने बदला मेरा जीवन:

हुआ यूँ कि तक़रीबन तीन साल पहले मुझे अपने work place पर दूसरे department में transfer झेलना पड़ा। मैं एक Mechanical Engineer हूँ और cement industry में काम करता हूँ। cement बनाने में बहुत सारे departments मिलकर काम करते हैं। मैं अभी तक नए Projects पर काम किया करता था और मुझे अचानक Maintenance department में transfer कर दिया गया।

जो मेरे लिए shocking जैसा था क्योंकि मैं maintenance department में जाने में बिलकुल भी interested नहीं था और मैंने अभी तक maintenance में कुछ सीखा भी नहीं था।

मैंने अपनी तरफ से इस transfer को रुकवाने की कोशिश भी की लेकिन सफल नहीं हुआ। क्योंकि 40 से भी ज्यादा लोगों के inter departmental transfer किए गए थे। किसी एक को transfer को cancel करने से बाकि भी इस तरह की कोशिश करते। खैर काफी माथा-पच्ची के बाद बुझे मन से finally मैंने नए department के नए section में duty join कर ली।

Project Engineer की maintenance पारी की शुरुआत:

यहाँ मुझे crusher section की maintenance का काम मिला। जहाँ पहले से एक section incharge था, जिसके पास एक section engineer, एक foreman और 10 workers थे। ये लोग इस complete crusher section की maintenance के लिए जिम्मेदार थे। और तक़रीबन 8  सालों से यहाँ maintenance कर रहे थे। अब इनमे मैं भी शामिल हो गया और इनके साथ अलग अलग equipment की maintenance सीखने लगा।

मैं इन लोगों को maintenance करते देखता और उसी से खुद भी सीखता। ये सभी लोग अपने काम में पूरी तरह से पारंगत थे। कोई भी problem आने पर सिर्फ बताना होता था कि फलाना problem आई है। ये लोग तुरंत सारा समान लेकर पहुँच जाते और maintenance का काम शुरू कर देते। मतलब इन्हें maintenance के लिए कोई special instruction नहीं देना पड़ता था।

मैंने maintenance में जो कुछ भी सीखा, इन्ही लोगों से सीखा। ये लोग जिस तरीके से maintenance करते, मेरे लिए वही तरीका best maintenance procedure बन गया।

दो साल बाद फिर से नया परिवर्तन:

तक़रीबन दो साल बाद company की policies में कुछ बदलाव आये। इस बदलाव के तहत crusher section पर मुझे छोड़कर बाकी सभी को हटा दिया गया। actually इस बार crusher section का ही department change कर दिया गया। पहले यह section Mines department देखता था। अब इसकी maintenance का ज़िम्मा Mechanical department को सौंप दिया गया।

Mechanical Head ने सिर्फ मेरा ही transfer अपने department में accept किया। इसलिए बाकि सभी staff members और workers को Mines department के दूसरे sections में लगा दिए गया।

अब मुझे यहाँ का section incharge बना दिया गया। मुझे एक section engineer दे दिया गया और 4 नए workers. ये सभी लोग ऐसे थे जिन्होंने दूसरे sections में तो maintenance की थी लेकिन कभी crusher section में काम नहीं किया था। अब staff भी कम था, workers भी कम थे और जो थे वो भी सब नए। अब एक तरफ section incharge बनने की ख़ुशी थी तो दूसरी तरफ पूरी तरह से नए workers से काम कराने का challenge. खैर इसीलिए इसे शायद नौकरी कहा जाता है।

अब ज़िम्मेदारी भरी पारी की शुरुआत:

मेरी अग्निपरीक्षा शुरू हो गई थी। मैंने इन नए लोगों के साथ maintenance शुरू कर दी। बहुत सारी तकलीफें आई जिसका जिक्र फिर कभी करूँगा। मेरा ज्यादातर वक़्त plant में ही बीतने लगा। और इस वजह से उस वक़्त मेरी blogging लगभग छूट सी गई।

नए लोगों के साथ maintenance कराने में मुझे हर वक़्त उनके साथ लगे रहना पड़ता था। मैं उन्हें बताता रहता इस काम को ऐसे करो, उसको वैसे करो। ये सामान यहाँ पड़ा, फलाना सामान वहां पड़ा है। कुछ मुझे समझ नहीं आता तो अपने पुराने foreman से help लेता।

धीरे धीरे ये आदमी काम सीखने लगे। और बीच बीच में मैं भी management से और आदमियों की demand करता रहा। जिससे मुझे 3 workers और मिल गए। जरूरत पड़ने पर हमें दूसरे section से भी आदमी मिलने लगे। इन लोगों से काम कराते वक़्त मेरे दिमाग में एक ही बात रहती कि मैंने जिस तरीके से काम सीखा है, वही तरीका best है।

इसलिए इन सभी को उसी तरीके से काम करना चाहिए। कभी कोई मुझे काम करने के तरीके को बदलने को कहता तो मैं उस पर गुस्सा करता। और उसको यही कहता तुम लोग अपना दिमाग मत लगाओ। जैसा कह रहा हूँ बस वैसे ही करते रहो।

एक घटना ने मेरी सोच में बदलाव किया:

एक बार मैं सबको काम बता कर अपने official काम निपटाने के लिए office में आकर बैठ गया। मैं 2 घंटे बाद ये सोचकर कि अब तक आधा काम तो खत्म हो गया होगा अपनी seat से उठा और site पर चला गया। वहाँ जाकर देखा तो हैरान हो गया क्योंकि वो लोग दो तिहाई से भी ज्यादा काम खत्म कर चुके थे। मैंने जब उन्हें अपने बताए तरीके से अलग काम करते देखा तो फिर उन्हें डांट लगा दी “इस तरीके से तुम ये काम तो जल्दी कर लोगे लेकिन दूसरा कोई नुकसान कर दोगे।”

खैर उन्होंने काम खत्म किया। इस बार काम जल्दी हुआ था और इसमें मेहनत भी कम लगी थी। बाद मैं मुझे realization हुआ कि मैं इन लोगों पर अपना तरीका थोपता हूँ। क्योंकि मुझे अभी तक यही लगता रहा है कि जो मैंने सीखा है वही तरीका best है। मैंने जिनसे सीखा है उन्हें इन machines पर काम करने का सालों का अनुभव था। और इस वजह से मैंने कभी भी creative ideas को तरज़ीह ही नहीं दी। खुद तो कभी मैने किसी creative idea को सोचा नहीं और किसी ने सोचा तो उसे implement भी नहीं करने दिया।

Creative ideas पर काम करने की मेरी नई सोच ने मेरा जीवन आसान बना दिया।

मैंने अपना व्यवहार बदलने का निश्चय किया। अब मैंने workers को उनके तरीके से काम करने की आज़ादी दी। उनके नए creative ideas को implement भी करना शुरू किया। और यही वजह रही कि कुछ equipment पर हमारी maintenance पहले की तुलना में काफी कम हो गई है। बहुत सारे काम ऐसे हैं जो अब हम पहले की तुलना में जल्दी खत्म कर लेते हैं। अब हमारे breakdowns में भी बहुत कमी आ गई है। मैं अपने परिवार और blogging को भी समय दे पा रहा हूँ।

इसके अलावा एक काम तो हमारी team ने ऐसा कर डाला, जिसके लिए हमारी company के बड़े-बड़े अफसर भी यही मान रहे थे कि इसे safely करने का कोई तरीका नहीं है। असल में crusher housing को open करते समय कुछ bolts तक safe approach नहीं बनती थी। और इन्हें unsafe तरीके से खोलना पड़ता था। इसके लिए हमारे safety department के लोग कई बार हमें टोक चुके थे।

अभी तक जो भी हमें इस काम को safely करने की नसीहत देता, उसे यही जवाब दिया जाता कि आप बताओ कैसे इसे safe करना है? हम वैसा कर देंगे। कोई जवाब देता नहीं तो पिछले 10 सालों से ये काम ऐसे ही unsafe तरीके से किया जा रहा था।

एक fitter लेकर आया मेरे पास creative ideas:

दो महीने पहले एक worker मेरे पास आया और बोला sir, crusher housing खोलते समय हम unsafe काम करते हैं। मेरे पास एक idea है जिससे वहाँ platform भी बन जाएगा और हमें अपने दूसरे काम करने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी। असल में वहाँ जगह का constraint था और हमें लगता था कि यहाँ हमने एक platform और बना दिया तो दूसरे काम करने में दिक्कत होगी। मैंने उससे यही कहा अगर तुम्हारा platform मुझे दूसरे कामों में दिक्कत नहीं देगा तो मैं तुम्हें इसके लिए बाकायदा company से ईनाम भी दिलवाऊंगा।

वो अपने काम में लग गया। दो दिन की मेहनत के बाद उसने वाकई में ऐसा platform बना दिया, जिस पर चढ़कर bolts भी आसानी से खोले जा सकते थे और वहाँ के दूसरे कामों को करने में भी कोई खास दिक्कत नहीं आ रही है। यह सचमुच एक creative thinking या कहूँ innovative thinking का नमूना था।

अभी 26 जनवरी को company ने उसकी मेहनत और सूझ-बूझ के लिए ईनाम और प्रशस्त्री पत्र भी दिया है। वैसे सिर्फ इसी worker को नहीं बल्कि मेरी team के दूसरे सदस्यों को भी अच्छे काम के लिए 26 जनवरी को company ने ईनाम और प्रशस्त्री पत्र देकर सम्मानित किया।

Creative Thinking सचमुच जीवन में परिवर्तन ला सकती है।

मैंने अपने इस एक साल के कार्यकाल में यही सीखा कि दिमाग को बंद करने के बजाय उसे खुले तौर पर सोचने देना चाहिए। हो सकता है आप जो काम कर रहे हो वो तरीका अच्छा हो लेकिन उसे और अच्छा करने की गुंजाईश हमेशा रहती है। किसी team के साथ काम कर रहे हैं तो सबको बराबर का मौका देना चाहिए।

किसी काम में दिक्कतें आ रही हैं तो खुद उलझे रहने के बजाए team के साथ इसे discuss करना चाहिए। Team के ideas को बिलकुल neglect कर देने के बजाए उस पर सोच विचार कर थोडा बहुत risk लिया जाना चाहिए। हो सकता है 10 में से 7-8 बार फ़ैल हो जाएंगे, लेकिन जो दो बार success मिलेगी वो आपके काम करने का तरीका ही नहीं सोचने की दिशा भी बदल देगी।

मुझमे जो कमी थी वो ये कि मैं एक particular mind set के साथ ही अपने काम करता था। कभी इस तरह से नहीं सोचा कि क्या कोई और बेहतर तरीका हो सकता है इस काम को करने का? और शायद इसीलिए पिछले साल मुझे बहुत सारे breakdowns भी झेलने पड़े। लेकिन इन नए लोगों ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने अलग सोचा, बेहतर result दिया और फिर मुझे भी अपनी सोच में परिवर्तन करना पड़ा।

तो फिर आज से ही शुरू करें काम एक नए solution पर: मेरा यकीन मानिये ये बिलकुल आसान है, बस अपनी सोच को थोडा सा creative ही करना है। और फिर जो creative ideas आयेंगे, उन्हें सोच विचार कर implement करना है।

क्या आपको भी लगता है creative thinking और creative ideas से हमारी ज़िन्दगी को और आसान बनाया जा सकता है? comment करके हमें और हमारे readers को जरूर बताएं। इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करके आप उन्हें भी creative thinking का महत्त्व बता सकते हैं।

More Featured Articles:

  1. स्वस्थ रहने के लिए कुछ natural दवाएं
  2. कैसे मैंने अपना एक दिन ख़राब किया?
  3. बेटी बचाओ अभियान :एक सार्थक कोशिश

हमारा कोई article पसंद आने पर अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
facebook page like करने के लिए यहाँ click करें – https://www.facebook.com/hindierablog/
Keywords – creative thinking and creative ideas, innovative thinking, creative thinking in Hindi, creative thinking and problem solving

टिप्पणियाँ